कालजयी प्रेमचंद का साहित्य आज भी प्रासंगिक हैं -डॉ.सुनील जाधव -NNL


मुदखेड|
राजीव गाँधी महाविद्यालय, मुदखेड की और से 5 अगस्त को प्रेमचंद जयंती सप्ताह मनाया गया | इस उपलक्ष्य में यशवंत महाविद्यालय, नांदेड़ के हिंदी विभाग से हिंदी साहित्य कार डॉ.सुनील जाधव जी को प्रमुख वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था | इस वक्त मंच पर अध्यक्ष के रूप में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.रमेश कदम, राजीव गाँधी महाविद्यालय के हिंदी विभाग प्रमुख डॉ.विजयसिंह ठाकुर उपस्थित थे |

प्रमुख वक्ता के रूप में आमंत्रित डॉ.सुनील जाधव जी ने, कालजयी प्रेमचंद का व्यक्तित्व और साहित्य की विशेषता इस विषय पर विस्तार से समीक्षात्मक रूप में छात्रों को मार्गदर्शन किया| प्रेमचंद कर्मठ लेखक, प्रगतिशील विचारक, सौ साल आगे की सोच रखने वाले, तिलक, गांधीवादी, सुधार वाद से प्रभावित रचनाकार हैं | उनके साहित्य में गाँव, कस्बा, नगर, महानगर सम्पूर्ण भारत का चित्रण दिखायी देता हैं | मानसरोवर के प्रतिनिधिक कहानियों, उपन्यासों की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए, राष्ट्रीय चेतना, सामाजिकता चेतना, ऐतिहासिकता, राजनीतिकता, खेल-कूद, पर्यावरण, विभिन्न विमर्शों आदि पर अपने मौलिक विचार रखें |  उपयोगिता को बताते हुए, कालजयी प्रेमचंद के  साहित्य को आज भी प्रासंगिक बताया|

कार्यक्रम के आरम्भ में डॉ.ठाकुर ने प्रेमचंद का परिचय अपने विशेष अंदाज में दिया | वहीं प्राचार्य रमेश कदम जी ने छात्रों को मंत्रमुग्ध करनेवाला ज्ञानवर्धक वक्तव्य के रूप में डॉ.जाधव जी की स्तुति की | कार्यक्रम की रूप रेखा छात्रों ने बनाई जिसमें संचलन छात्रा कु.अनुजा ने तो स्वागत गीत दिनेश सूर्यवंशी और अतिथि का परिचय कु.थोरात  एवं आभार कु.मयूरी ने किया | साथ ही डॉ.आर.बी.कोटवार, डॉ.कोथले, डॉ.धावारे आदि आध्यापकों की उपस्थिति थी |

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