नांदेड (अनिल मादसवार) राष्ट्र के उन्नती के लिए, विद्यार्थीयोने योगदान देणे के लिये हमेशा तैयार रहाना जरुरी है, सत्यनिष्ठता और देश को मजबूत बणाने के लिए जागृत रहकर काम करना चाहिये/ स्वयं के साथ राष्ट्रराहित की प्रगति तभी होगी जब सभी जाति, धर्म, पंथ और भेदभाव का विचार छोडकर भाईचारा और एकता के साथ माता-पिता का सम्मान करना सिखेंगे ऐसा मंतव्य राज्यपाल चे. विद्यासागर राव ने किया/ वे नांदेड में स्वामी रामनंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय की बिसवी दीक्षांत समारंभ के शानदार कार्यक्रम के मंच से अध्यक्षीय समारोप के अवसर पर विद्यार्थीयो को मार्गदर्शन करते हुए बोल रहे थे/
इस प्रसंग मंचपर प्रमुख अतिथि के रूप में साइंटिफिक ॲवायजरी समूह, सोशल बिहेविरल रीसर्च डिवीजन, आईसीएमआर के अध्यक्ष और सुप्रसिद्ध मानवविज्ञान के वैज्ञानिक प्रो. रामचंद्र मुटाटकर, कुलगुरु डॉ. पंडित विद्यासागर, प्र-वैलगुरु डॉ. गणेशचंद्र शिंदे, कुलसचिव डॉ रमजान मुलानी, परीक्षा मुल्यमापन और मुल्यमापन मंडल के संचालक डॉ. रवी सरोदे, व्यवस्थापन परिषद, विद्या परिषद, अधिसभा और विविध विद्याशाखा के अधिष्ठाता अपर विभागीय आयुक्त विजयकुमार फड, अपर जिलाधिकारी संतोष पाटील, मनपा आयुक्त गणेश देशमुख, उप-विभागीय अधिकारी प्रदीप कुलकर्णी आदी गणमान्य व्यक्तीयो कि प्रमुख उपस्थिति थी।
व्याख्यान भाषण में डॉ. मुटाटकर ने कहा कि, भारतीय विश्वविद्यालयों को स्वतंत्र और एकदुसरे के साथ में मदद करने कि भूमिका लेणी चाहिए। कॉलेज और विश्वविद्यालयों के शिक्षकों ने यूजीसी के निर्देशों के अनुसार शिक्षा और शोध किया जाना चाहिए विज्ञान शाखाओं में उद्योगों के लिए निगेटिव रिसर्च तथा मानवा विद्याशाखा और सामाजिक शास्त्रों ने समाज को उपयोगी कार्यक्रमों में सहयोग देना जरुरी है। विद्यार्थियों ने भी समाज के प्रति सम्मान कि भावना रखकर काम करना चाहिए। इस तरह के विचारों से मानव जीवन को अधिक समृद्ध किया जा सकता है और वह अंतःविज्ञानशास्त्रीय पद्धति से संभव हो सकता है।
समकालीन प्रश्नों के विचार और निराकरण में बहु-विज्ञान और अंतर-विद्याशाखा अनुसंधान से किया जा सकता है। किसान आत्महत्या यह केवल आर्थिक विवेचने से हि नहीं बल्की असे राजनीतिक संदर्भ भी है। यह भी कहा गया है कि यह आत्महत्या के पीछे पृष्ठभूमि सांस्कृतीक भी है इसके अलावा किलारी में भूकंपग्रस्त लोगों ने सभी समस्याओं का खंबीरता से संभाला था लेकिन उन्होने आत्महत्या नहीं कि थी। तात्काल गरीबी से टांग किसान आत्महत्या करता है। इसके पिछले मानसीकरण को समझने के बाद ही समस्याएं हल हो सकती हैं, ऐसी डॉ. मुटाटकर ने स्पष्ट किया/
कुलगुरू पंडित विद्यासागर ने विश्वविद्यालयों के लिए गुणवत्ता में वृद्धि, उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण, नए अध्ययन और अध्यापन पद्धति का पालन करने के लिए कई चुनौतियां उभरा हैं, 20 वर्षों के दौरान राष्ट्रीय मूल्यांकन और अधिग्रहण परिषद (नॅक) ग्रेड ए की गुणवत्ता का स्तर प्राप्त हुआ है। सफल रहे हैं पदवी और पदवीस्तर पर चुनावों के आधार पर श्रेयक पद्धति आमल में लानेवाला महाराष्ट्र में यह पहला विश्वविद्यालय होगा। इसके अलावा केंद्र सरकार ने गुरु गोविंदसिंघजी अध्यासन संकुल और संविधान केंद्र को अभी 22 करोड़ रुपये का अनुमोदन निधी मंजूर किया है। उन्होंने कहा, "रुसिया के तहत अंडर फाउंडैम की सुविधा के लिए 20 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं और अगले तीन वर्षों में एक लाख करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है," उन्होंने कहा। शिक्षा, अनुसंधान, छात्र और बुनियादी सुविधाएं विकास के बारे में उन्होंने बताया/
शुरूआती में विश्वविद्यालयों की प्रांगण से आगमन गणमान्य हस्तीयो का आगमन हुवा। एमजीएम महाविद्यालयलय के समूह विश्वविद्यालय कुलपति और राज्यपाल श्री विद्यासागर राव की कारकमलो द्वारा दीपप्रज्जवलन और स्वामी रामानंद तीर्थ के प्रतिमा का पूजन किया गया। विभिन्न विद्याशाखों में विषयनिहाय सुवर्ण पदक के मुताबिक 46 विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। जबकि 236 छात्रों को पीएचडी और पदवी प्रदान किया गया विभिन्न विद्याशाखों के अधिष्ठापकों को प्रस्तुत करने के लिए कुलपति महोदय ने स्नातक पदवी प्रदान किए गए। समारंभ की सुत्रसंचालन डॉ. माधुरी देशपांडे और डॉ. पृथ्वीराज तौर ने किया, दीक्षांत समारंभ कि शुरुवात और समालोचन राष्ट्रगीत से हुवा था/
पूर्ववर्ती राज्यपाल के विद्यासागर राव के हाथों में स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय की प्रांगण इनडोअर स्पोर्ट स्टेडियम का उदघाटन किया गया।