हिमायतनगर। हिन्दी भाषा ने हमारे देश की गरिमा, संस्कृति और इतिहास की पहचान दिलाने में और राष्ट्रास्वाभिमान को जगाकर स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हिंदी ने ही देशभक्तों के दिलों देशभक्ति जुनून निर्माण किया। और अंग्रेजों के विरोध में विद्रोह की भावना जगाई।
देशभक्ति का प्रचार-प्रसार हिंदी भाषा ने ही किया है। हिंदी आज हमारी राष्ट्रभाषा तथा राजभाषा होने के साथ ही साथ हिंदी विश्व भाषा के रूप में उभर कर सामने आ रही है। उसके प्रचार प्रसार के लिए 10 जनवरी को पुरे विश्व में 'विश्व हिंदी दिवस' मनाया जाता है। इस तरह से हिंदी भाषा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता है। ऐसा कह कर हिंदी भाषा का महत्व कार्यक्रम के आयोजक तथा हिन्दी विभाग प्रमुख डॉ. शिवाजी भदरगे के जी ने अपनी बात अपने मनोगत में रखी।
महाविद्यालय की आदरणीय प्राचार्या डॉ. उज्वला सदावर्ते मॅडम जी के मार्गदर्शन पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता का भार महाविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग प्रमुख तथा स्टाफ सेक्रेटरी आदरणीय डॉ. डी. के. कदम सर जी ने स्वीकार किया। तथा प्रमुख उपस्थिति के रूप में महाविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग प्रमुख हिन्दी प्रेमी डॉ. डी. के. मगर सर और कार्यालयीन अधिक्षक संदीप हारसूलकर सर आदि मौजूद थे।
कार्यक्रम के दौरान प्रथम संत कबीर तथा प्रेमचंद जी प्रतिमा को प्रमुख मान्यवरों के करकमलों से माल्यार्पण किया गया। कार्यक्रम की भूमिका रखतें हूए भदरगे जी ने आगे कहा कि, आजादी के बाद भारत देश को भारतीय संविधान के साथ ही साथ हिंदी भाषा ने आजतक अखंड रखा। इसलिए आज दिनों-दिन हिंदी का महत्व देश विदेश में व्यापक पैमाने पर बढ़ती ही जा रहा है। उस दृष्टि से आज हिंदी विश्व भाषा बनने जा रही है। ऐसे मौलिक विचार उन्होंने प्रकट किए।
आगे कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि डॉ. मगर सर जी ने हिन्दी भाषा की वैश्वीक स्थिति बताते समय विश्व में बोलने वाले लोगों की संख्या के अनुपात को गहराई से रखी। और कार्यक्रम के अन्त में डॉ. डी. के. क़दम सरजी ने कार्यक्रम के अध्यक्षीय समापन में हिन्दी भाषा का महत्व समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से अभिव्यक्त किया।
कार्यक्रम के सुत्रसंचाक ने ही सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया । इस समय महाविद्यालय के संपूर्ण प्राध्यापक एवं कार्यालयीन कर्मचारी उपस्थित थे।