न्यायाधीश ने दी 7 दिन की पुलिस हिरासत
लिए प्रयास करते लगभग ढाई महीने बाहेर घुमे लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, आखिरकार पुलिस उपनिरीक्षक ज्ञानोबा काले और पुलिस नायक राणे इन दोनों ने खुदको पुलिस के हवाले कर लिया। दौरान सोमवार को दोपहर में पुलिस द्वारा दोनों को अदालत में पेश किए जाने के बाद, न्यायाधीश ने तारीख ७ यांनी ५ दिन तक दोनों को पुलिस हिरासत में भेज दिया है। इससे पहले, फरार आरोपी संतोष जिचकर ने भी खुदको २९ तारीख रोज पुलिस स्टेशन में उपस्थित होकर समर्पण किया था। गणेश उत्सव के दिन, पुलिस और फरार आरोपी का खेल खतम हुवा, लेकिन इस मामले में शामिल इन आरोपियो को कडी सजा मिलने के बाद हि मृतक सद्दाम को सही माईने में न्याय मिलेगा ऐसा आम जनता में कहा जा रहा है|
तारीख १५ रोज सद्दाम सासुराल में पत्नी को लाने कि खातीर जाने के बाद ससुर ने और साले ने मारपीट कर घर से बाहेर निकाला था। इसलिए सद्दाम ने पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करने की कोशिश करते समय, पुलिस उप निरीक्षक ज्ञानोबा काले और उनके साथी संतोष राणे ने उनके साथीदार सांतोष जिचकार के कहणे पार युवक को पीटा और नगद पैसे और सोने की अंगूठी छीन ली थी। इस मानसिक तनाव में आये सद्दाम ने शुरू में पुलिस को अनुरोध कर अंगूठी और अन्य सामग्री देणे कि बिनति कि, किंतु पुलीस ने उसकी सामग्री नही देणे से सद्दाम अपना संतूलन खो बैठा और उसने ससुरालं और पुलिस के खिलाफ आवाज उठाई। साथ हि शरीर पर केरोसीन छिडककर खुद्द को अंगार लगाई थी, सद्दाम जलते हुए पुलीस उपनिरीक्षक काले वही पर मौजूद थे, किंतु उन्होने सद्दाम को जलने से बचाने का कोई भी प्रयास नही किया| तुरंत स्थानीय परिसर के नागरिक ने सद्दाम को बचाया दौरान सद्दाम ९० प्रतिशब्द जला था, तुरंत सद्दाम को पुलिस वाहन में डालकर अस्पताल में भरती कारवाया यहा पर कुछ इलाज करवाकर नांदेड़ के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां पर मौत से जुझ रहे सद्दाम ने जज और पुलिस अधिकारी के सामने हिमायतनगर पुलिस स्टेशन की पुलिस निरीक्षक और पुलिस नाइक संतोष राणे और निजी युवा संतोष जिचकार के खिलफा गवाही दि थी| जिससे तारीख १७ जुलाई रोज ससुर शे.सरदार, साला शे.सिराज, उस्का दोस्त जिशान मिरझा और पुलिस उपनिरीक्षक ज्ञानोबा काले, पोलीस नाईक संतोष राणे और पिलास के कारोबार में धांदली करणेवाला निजी युवक संतोष जिचकार इस छह लोगोपर धारा ३०६,३९२,३२३,३४ भादंवि के अनुसार मामला दर्ज किया गया था| साथ ही, पुलिस उपनिरीक्षक ज्ञानोबा काले, पुलिस नायक संतोष राणे को पूर्व विशेष पुलिस महासंचालक ने दिये हुए अधिकार स्वरूप तत्कालीन पुलिस अधीक्षक संजय जाधव ने इन दोनो के पुलिस कि सेवा में से बडतर्फ करणे कि कारवाई कि गई थी।
इस दौरान अस्पताल में मौत से जूझ रहे सद्दाम ने गुरुवार दोपहर ३.१० मिनट में अंतिम सांस ली। इसलिए, पीड़ित समुदाय ने आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की। तत्काल पुलिस ने ससुर और साले को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन पुलिस अधिकारियों सहित अन्य चार को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की। आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने से शहर में माहौल तनावपूर्ण बना था। इस बात का एहसास होने पर, पुलिस उपनिरीक्षक ज्ञानोबा काले, पुलिस नाइक संतोष राणे और उनके साथ काम करनेवाले निजी व्यक्ति संतोष जिचकार जमानत के लिए फरार हुए थे। हिमायतनगर पुलिस द्वारा हिरासत से बचने के लिये लगभग डेढ़ महीने तक नांदेड़ जिला न्यायालय, औरंगाबाद और अन्य उच्च न्यायालयों में हिरासत पूर्व जमानत हासिल करने की कोशिश की। लेकिन उन्हें जमानत नहीं मिल सकी। इस तथ्य के कारण उन्हे हिमायतनगर थाने में उपस्थित होणे के अलावा कोई विकल्प नहीं था, इसलिये उन्होंने तारीख २९ अगस्त को अपने निजी व्यक्ति संतोष जिचकार को पुलिस के हवाले करवाया। और तारीख ०२ सितंबर को हिमायतनगर पुलिस स्टेशन में खुद्द पहुंचे और पुलिस के सामने पेश हुए। सद्दाम के मृत्यू को जिम्मेदार आरोपी सब इंस्पेक्टर ज्ञानोबा काले और पुलिस नाइक संतोष राणे को पुलिस इंस्पेक्टर भगवान कांबले ने अदालत में पेश किया। आगे की जांच और पूछताछ के लिए आरोपी को ७ तारीख ताक पुलिस हिरासत में भेजा है|
जब आप एक पुलिसकर्मी वर्दी का दुरुपयोग करता है तो.. कानून किसी भी अपराधी को नहीं छोडता कानून के हात बोचत लंबे होते है इसाक जिता जगता उदाहरण इस घटना से शहरवासियो के सामने उजागर हुया है| अपराधी कितना भी बड़ा व्यक्ति हो... कितने भी दूर फरार हो... एक न एक दिन उसे गिरफ्तार होना पडता है...इन आरोपियो को अब कानून बडी से बडी सजा सुनाने के बाद हि मृतक सद्दाम के परिजन और सद्दाम कि आत्मा को शांती मिलेगी, ऐसी आशा शहर के निवासी नागरिक और सद्दाम के घरवाले व्यक्त कर रहे हैं।